The Greatest Guide To Shodashi
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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।
ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
A unique characteristic from the temple is the fact souls from any faith can and do supply puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from various religions and cultures.
The Sri Chakra is actually a diagram fashioned from nine triangles that surround and emit out in the central issue.
This mantra can be an invocation to Tripura Sundari, the deity being tackled In this particular mantra. It is just a ask for for her to fulfill all auspicious wishes and bestow blessings on the practitioner.
चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।
The path to enlightenment is frequently depicted as an allegorical journey, While using the Goddess serving since the emblem of supreme power and Power that propels the seeker from darkness to light-weight.
देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
This Sadhna evokes countless benefits website for all round economical prosperity and security. Expansion of business, identify and fame, blesses with long and prosperous married life (Shodashi Mahavidya). The results are realised promptly after the accomplishment with the Sadhna.
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि